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भूकंप आने पर अपनाएं ये सेफ्टी टिप्स, बच सकेगी आपकी जान

जैसे ही भूकंप के झटके महसूस होने लगते हैं, दिमाग तो मानो शून्य में चला जाता है। हमें कुछ भी समझ में नहीं आता कि क्या करना चाहिए, बस हम सब बेचैनी और घबराहट से भर जाते हैं। यहां जानें भूकंप आने पर आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए… और वो पहला काम जो अपनी सुरक्षा के लिए आपको करना है…

दिल्ली-एनसीआर में पिछले दो महीने से भी कम समय में 14 बार भूकंप आ चुका है। दिल्ली-एनसीआर की धरती इतने कम समय में इतनी अधिक बार शायद ही कभी कांपी हो। ऐसे में दिल में डर बैठ जाना बहुत ही सामान्य बात है। लेकिन डरने से काम नहीं चलेगा, आपको स्मार्ट होना होगा…

दिल्ली में काम नहीं आएगा यह तरीका

-आमतौर पर जब भी भूकंप की बात आती है तो बड़े-बुजुर्ग यही कहते हैं कि घर और ऑफिस से तुरंत बाहर निकल जाइए। ऐसे स्थान पर पहुंचिए जहां आस-पास बिल्डिंग, पेड़ और बिजली के खंबे ना हों। लेकिन हमारे मेट्रो सिटीज की जो हालत है, खासतौर पर दिल्ली की, वहां ऐसा स्थान आस-पास मिलना लगभग नामुमकिन है।

भूकंप के दौरान ऐसा बिल्कुल ना करें

भूकंप के झटके अचानक और बहुत तेजी से आते हैं। ऐसे में बहुमंजिला इमारत (मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स) में रहनेवाले लोगों को तो बाहर निकलने का भी समय नहीं मिल पाता है। तो इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए?

-सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि भूकंप की स्थिति में कभी भी लिफ्ट का उपयोग ना करें। दूसरी बात सीढ़ियों की तरफ ना दौड़ें। क्योंकि आप भी जानते हैं कि आप कितनी भी स्पीड से दौड़ें जब तक बिल्डिंग से बाहर पहुंचेंगे भूकंप जा चुका होगा… या जो डैमेज होना होगा हो चुका होगा।

क्या करना चाहिए?

कारण कोई भी हो अगर आप भूकंप के समय दौड़कर किसी खुले मैदान की तरफ नहीं जा सकते हैं तो अपनी बिल्डिंग में ही किसी ऐसे कॉर्नर में जाकर दीवार से सटकर खड़े हो जाएं जो कॉर्नर आपके फ्लैट का ही नहीं बिल्डिंग का भी कॉर्नर हो।

-डिजास्टर मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी भी बिल्डिंग का कोना, वह सबसे सुरक्षित जगह होती है, जहां बिल्डिंग गिरने के बाद भी इंसान सुरक्षित और जीवित रह सकता है।

-इसका कारण यह है कि बिल्डिंग के कॉर्नर्स में दोनों तरफ लोहे के पिलर्स लगे होते हैं। जो भूकंप की स्थिति में भी आमतौर पर नहीं गिरते हैं। दूसरी बात, जब भी कोई बिल्डिंग गिरती है तो उसके कॉर्नर्स उस बिल्डिंग का वो आखिरी हिस्सा होते हैं जो सबसे बाद में गिरते हैं।

-यानी इस स्थिति में अगर व्यक्ति ऊंचाई से गिरता भी है तो उसके मलबे में दबने के चांस कम हो जाते हैं। ऐसे में जाहिर तौर पर उसकी जिंदगी बचने की संभावना बढ़ जाती है।

जो दूसरा काम आपको करना है…

-कॉर्नर साइड में खड़े होने के साथ ही आप अपने सिर के ऊपर तुरंत कोई मोटा तौलिया या चादर लपेट लें। क्योंकि इस तरह के हादसों के दौरान ज्यादातर मृत्यु सिर की गंभीर चोटों और मलबे में दबने के कारण ही होती हैं। अगर व्यक्ति इन दो भयानक स्थितियों से बचा रहे तो उसके जीवित और सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाती है।

हेलमेट कर सकता है आपकी मदद

-ट्रैफिक पुलिस से डरकर आपने बहुत बार हेलमेट पहना होगा। लेकिन इस बार भूकंप की स्थिति में हेलमेट पहन लीजिएगा। हेलमेट हमारे सिर को गंभीर चोटों से बचाता है। क्योंकि शरीर का बाकी कोई भी अंग क्षतिग्रस्त होने पर रिकवरी की संभावना होती है। लेकिन ब्रेन में लगी चोट की स्थिति में एक्सपर्ट्स भी कुछ नहीं कह पाते हैं!

ग्राउंड फ्लोर और सिंगल स्टोरी घर

अगर आप किसी भी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं या सिंगल स्टोरी बिल्डिंग में रहते हैं तो सबसे पहले घर के सारे इलैक्ट्रिक स्विच बंद कर दें। जैसे फ्रिज, कूलर, एसी, गीजर, हीटर , फैन आदि सब कुछ तुरंत बंद करें। ताकि किसी अनहोनी की स्थिति में करंट ना फैले।

-इसके तुरंत बाद घर से निकलकर बाहर आ जाएं। यदि आपके घर की गली संकरी हो और मेन रोड तक आने में अधिक वक्त लगता हो तो आप डायनिंग टेबल या तखत जैसे फर्नीचर के नीचे छिप जाएं। अपने सिर पर हेलमेट पहनना या मोटा टॉवल बांधना ना भूलें।

ड्राइविंग करते हुए

-जिस समय भूकंप आ रहा हो अगर आप उस समय ड्राइविंग कर रहे हों तो जहां हों वहीं कार रोककर सड़क पर खुली जगह में आ जाएं। अगर आप फ्लाइओवर पर हैं तो तुरंत गाड़ी साइड लगाकर बाहर निकल जाएं। जितना हो सके आस-पास की बिल्डिंग्स और पेड़ों से दूर रहें।

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Written by sujata kushwaha

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