जिंदगी में एक मुकाम हासिल करने के लिए पिता का बच्चों के लिए , अनुशासन और कभी नहीं दिखने वाला प्यार बच्चों के स्वर्णिम जीवन के लिए अनमोल गहने हैं। ताजनगरी के कई होनहार प्रतिभा जो शहर का नाम रोशन कर रहे हैं, उनका मानना है कि पिता के हौसले से जो ऊर्जा मिलती है,वही करियर में उन्हें लगातार शोहरत दिलाती है। खेलों तथा चित्रकारी की दुनिया में शहर का नाम रोशन कर रहे इन अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और चित्रकारों का मानना है कि उन्हें जीवन में जो भी सफलता मिली है, उसमें उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए उनका मानना है पिता से ही हमारा नाम हैऔर उन्हीं से हमारी शान।
शाहान (अंतरराष्ट्रीय कार रेसर)

शाहान का मानना है की पापा को देखते ही उनमे एक नया जोश भर जाता है| आठ साल की उम्र से जब मैंने कार्ट चलाई,तब से मेरे पिता शहरू मोहसिन मेरा हाथ थामे हुए हैं। मोटर रेस में लाने वाले और साथ ही समय-समय पर सही सीख देने वाले मेरे पिता हर चैंपियनशिप में मेरा हौसला बढ़ाते रहते हैं। जब भी में मायूस हुआ हूँ तब उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखकर फिर मुझे मंजिल पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। कई बार अपना बिजनेस का काम छोड़कर मेरे पिता मुझे मोटर रेस की नई जानकारिया बताते हैं। वह हमेशा मुझे बताते हैं कि जीत के जश्न में यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमें अगली मंजिल की ओर आगे बढ़ना है। मेरी आज की सभी कामयाबियों में मेरे पिता ही मेरा आधार और मेरी ताकत हैं।
दीपक चाहर (क्रिकेटर टीम इंडिया)

दीपक चाहर बताते है की उनके पिता ने उनके लिए एयरफोर्स की नौकरी भी छोड़ दी| उस दिन से मेरे पिता मेरे लिए किसी भगवान से कम नहीं है । उस समय में बहुत छोटा था। मुझे लगा कि पापा ने मेरी जिम्मेदारी और भी बढ़ा दी है। जब भी मैं यह सोचता था कि यदि मै पापा के सपनों को सच नहीं कर पाया, तो पापा का नौकरी छोड़ने का लिया गया फैसला गलत हो जाएगा। मुझे हमेशा उनसे ताकत मिलती रही। जिस दिन मेरा टीम इंडिया में चयन हुआ तो मुझसे ज्यादा ख़ुशी मेरे पिता को हुई । एक पिता से ज्यादा वह मेरे अच्छे दोस्त बनकर रहे है ।
दीप्ति शर्मा ( इंडियन वुमेंस क्रिकेट टीम)

एक पिता का बेटी के प्रति इससे बड़ा समर्पण कोई नहीं हो सकता कि जब लोग यह कहे कि आपकी बेटी लड़की होकर लड़कों के साथ खेलती है तब भी वह अपनी बेटी का समर्थन करे । मेरे पिता श्रीभगवान शर्मा को यह बात दिल पर लगी । मेरे पिता ने मेरे शौक को ही मेरा करियर बना दिया। आज मैं जो भी हूं, वह सब मेरे पिता की कारण ही हूँ । जिस दिन इंडियन वुमेंस क्रिकेट टीम में मेरा चयन हुआ, वह दिन मेरे पिता के लिए सबसे ख़ुशी का दिन था । जब कभी भी मैं मायूस हुई हूँ उन्होंने हमेशा मेरे सिर पर हाथ रखकर मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है ।
अलीशा राघव (अंतरराष्ट्रीय चित्रकार)

मेरी रचनात्मक दुनिया को मेरे पिता अनिरुद्ध राघव के समर्थन से ही पंख लग पाए । अंतरराष्ट्रीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में मैंने जितने भी अवार्ड हासिल किए, वो सभी मेरे पिता की देन हैं। मेरे लिए तो रोज ही फादर्स डे है क्योंकि मेरे पापा मेरी इच्छा को पूरा करने के लिए हर पल तैयार होते हैं। पेंटिंग की दुनिया में मुझे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने मेरा एक बार जो हाथ पकड़ा, तो फिर कभी मुझे रुकने नहीं दिया। पेंटिंग की दुनिया में मेरी सफलता के लिए मेरे पापा ही मेरी सबसे बड़ी ताकत बने हैं। सरल , सजग और स्नेहिल पिता का साया ही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी है।