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आगरा में क्यों कम हुई कोरोना जांच, सरकार को देना होगा जवाब

आगरा में कोरोना वायरस की जांच अचानक कम क्यों हो गई? सरकार को इस सवाल का जवाब देना होगा। शहर के अधिवक्ता अरुण कुमार दीक्षित की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से एडिशनल अटॉर्नी जनरल मनीष गोयल ने जवाब देने के लिए समय मांगा है। अगली सुनवाई 19 जून को होगी।

अरुण कुमार दीक्षित ने बताया कि नोएडा में कोरोना के 58 मामले आने पर सरकार ने वहां के जिलाधिकारी को हटा दिया था। आगरा में 1000 केस होने पर भी जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई नहीं की गई है। अमर उजाला व्यवस्था की खामियों को लगातार उजागर कर रहा है। 
इस पर उन्होंने जनहित याचिका दायर की। इसमें कोरोना जांच ही नहीं, और भी कई मुद्दे शामिल किए गए हैं। मामले की सुनवाई जस्टिस मनीष चंद त्रिपाठी और रमेश सिन्हा की बेंच में चल रही है। एडिशनल अटॉर्नी जनरल ने जवाब देने के लिए समय मांगा है।
अफसरों के जाते ही संक्रमण कैसे घटा?
दीक्षित का कहना है कि लखनऊ से प्रमुख सचिव के नेतृत्व में अफसरों की टीम आई थी। वो 11 मई को लौट गई। टीम के जाते ही आगरा में कोरोना केस अचानक से कैसे कम हो गए? टीम के आने से पहले एक दिन में 50 केस तक मिले। टीम के जाने के बाद ये कई दिन 10 से भी कम रहे। आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे केस घटे?

मृत्यु के बाद रिपोर्ट क्यों आ रही?

  1. जनहित याचिका में सवाल यह भी है कि संक्रमित की मृत्यु के बाद रिपोर्ट क्यों आ रही है? इसका अर्थ यही है कि जांच समय से नहीं की जा रही।
  2. गैर कोरोना मरीजों के उपचार की व्यवस्था अभी भी मुकम्मल नहीं है। लोग उपचार के लिए भटक रहे हैं। इस पर कार्रवाई क्यों नहीं?
  3. अन्य जिलों में बड़ी संख्या में प्रवासी संक्रमित मिले हैं। आगरा में न के बराबर हैं, इसकी वजह क्या है? कितने टेस्ट हुए हैं?

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Written by sujata kushwaha

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