
कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण से दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। इस बीच भारत में कोरोना के शुरुआती मरीजों के लिए एंटीवायरल दवा फेविपिराविर को फैबिफ्लू के नाम से बनाने और मार्केटिंग करने की अनुमति मिल गयी है। वैक्सीन की प्रगति को लेकर भी बहुत अच्छी रिपोर्ट आ रही हैं। हालांकि क्लिनकल ट्रायल की प्रक्रिया लंबी होने की वजह से इसमें देर हो रही है। खबरों के अनुसार , दुनियाभर में कोरोना पर 100 से ज्यादा तरह के वैक्सीन पर शोध हो रहे हैं। कई वैक्सीन इस रेस में आगे है, इनमे से एक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बनाई जा रही AZD1222 वैक्सीन भी है। इसे ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन भी कहा जाता है। यह वैक्सीन मानव शरीर में वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने में मदद करती है। संक्रमण फैलाने के लिए कोरोना वायरस इसी स्पाइक प्रोटीन से सेल्स को जकड़ लेता है।
ब्रिटेन की इस वैक्सीन को सफल बनाने में यूरोप के कई देश एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं और एक-दूसरे की मदद भी कर रहे हैं। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि यह इकलौती ऐसी वैक्सीन है, जिसके अक्तूबर महीने तक सफल होने की पूरी उम्मीद की जा रही है। इस वैक्सीन के सफल होने पर इस साल के अंत तक इसके बड़े पैमाने पर बाजार में उपलब्ध होने की भी उम्मीद लगाई जा रही है।