
टेलीविजन से करियर शुरू कर बॉलीवुड में स्थापित होने वाले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को खुदकुशी कर ली। शुद्ध देसी रोमांस, एमएस धोनी, छिछोरे, केदारनाथ जैसी फिल्मों से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले सुशांत की खुदकुशी की खबर सुनकर सभी हतप्रभ हैं कि करियर के इस मुकाम पर कोई ऐसा आत्मघाती कदम कैसे उठा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दुनियाभर में हर साल करीब आठ लाख लोग आत्महत्या (Suicide) कर लेते हैं। डब्ल्यूएचओ की ओर से आत्महत्या को लेकर जारी ग्लोबल डाटा के मुताबिक ऐसा करने वालों में 15 से 29 साल के लोगों की तादाद सबसे ज्यादा है।
मनोचिकित्सक बताते हैं कि डिप्रेशन के बारे में लोग अक्सर बात करने से हिचकते हैं। डॉ. आलोक कुमार बताते हैं कि जो लोग डिप्रेशन से जूझ रहे होते हैं, वे किसी से बात नहीं कर पाते और अकेला महसूस करते हुए जिंदगी से हार जाते हैं। कई बार डिप्रेशन जब हावी होने लगे तो लोग गलत कदम उठा लेते हैं। आपके आसपास कोई अपना ऐसी किसी स्थिति में न हो, इसका ध्यान आपको भी रखना चाहिए।
विशेषज्ञ बताते हैं कि डिप्रेशन के कुछ संकेत होते हैं। अगर आपका कोई अपना, दोस्त, सहकर्मी या कोई और जानने वाला अगर डिप्रेशन से जूझ रहा हो तो उसके व्यवहार पर गौर करना जरूरी है। डॉ. आलोक बताते हैं कि डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों की बातों में, उनके बर्ताव में बदलाव जैसे लक्षण देखे जाते हैं। आइए जानते हैं उन संकेतों के बारे में, जिससे डिप्रेशन की स्थिति के बारे में पता चलता है।

नींद
- डिप्रेशन में व्यक्ति को नींद न आने की परेशानी शुरू हो जाती है या फिर वह बहुत सोने लगता है।
भूख
- डिप्रेशन में कई बार लोगों को कुछ भी खाने का मन नहीं होता। उन्हें भूख का अनुभव नहीं होता। वहीं कुछ मामलों में देखा गया है कि व्यक्ति को कुछ ज्यादा ही भूख लगने लगती है।
वजन
- डिप्रेशन में व्यक्ति का वजन या तो बढ़ जाता है या फिर घटने लगता है। हर महीने व्यक्ति के वजन में औसतन पांच फीसदी बदलाव देखा जाता है।
उदासी या अकेलापन
- उदासी डिप्रेशन का एक बड़ा संकेत है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि लोूग अपनों के बीच, दोस्तों और परिवार के बीच भी खुश नही रह पाते। अक्सर वह भीड़ में अकेलापन जैसा महसूस करते हैं।
थकान या सुस्ती
- डिप्रेशन में कई बार बिना मेहनत या काम किए भी थकान और सुस्ती महसूस होती है। शरीर में दर्द रहना और चेहरे पर थकान दिखना भी डिप्रेशन का बड़ा लक्षण है।
एकाकीपन
- डिप्रेशन में व्यक्ति अकेला रहना ज्यादा पसंद करता है। किसी के बीच रहने, बात करने का मन नहीं होता। वह अपना एक आभासी जोन बना लेता है और उसी में रहना चाहता है।
मन में भटकाव
- डिप्रेशन में व्यक्ति का मन स्थिर नहीं होता है। दिमाग में कई तरह की बातें चलती रहती हैं। जरूरी काम से भी ध्यान हटने लगता है। कई बार व्यक्ति बहुत कुछ भूलने लगता है।
गुस्सा और चिड़चिड़ापन
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन महसूस होना भी डिप्रेशन के लक्षण हैं। इस स्थिति में व्यक्ति बिना कारण के भी गुस्सा हो जाता है।
अपराधबोध
- कई बार डिप्रेशन में लोगों को हद से ज्यादा अपराधबोध महसूस होता है। उसे अक्सर लगता है कि जो कुछ गलत हुआ है, वह उसी की वजह से हुआ है। ऐसे में वे अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं।
अनजाना डर
- डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति के मन में किसी तरह का डर बैठ जाता है और वह उसे सच मान बैठता है। डर के ऐसे कारकों में अंधेरा, बंद कमरा, किसी व्यक्ति का डर, किसी हादसे का डर आदि शामिल होता है।
उल्टे-सीधे विचार
- डिप्रेशन में कई व्यक्ति अपनी जिंदगी से परेशान हो जाते हैं। उन्हें कई बार उल्टा-सीधा ख्याल आने लगता है। उन्हें लगता है कि उनकी जिंदगी में कुछ नहीं बचा और उन्हें दुनिया बेकार लगने लगती हैं
क्या करें, क्या न करें?
अगर आपके किसी करीबी में, दोस्त में या सहकर्मी में ऐसे लक्षण दिखें तो उन्हें कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें चाहिए कि रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-मोटे बदलाव लाकर जिंदगी को सहज, सरल और व्यवस्थित करना चाहिए। खुद को समय देना चाहिए। आइए चर्चा करते हैं कुछ और ऐसी ही चीजों के बारे:
डिप्रेशन से शिकार व्यक्ति को अपने सबसे करीबी और भरोसे वाले व्यक्ति से बात करनी चाहिए।
सेहतमंद और संतुलित भोजन करना चाहिए। नियमित व्यायाम करना भी अवसाद को दूर करने का बेहतर तरीका है।
संगीत सुनना बेहतर विकल्प है। पसंद की संगीत सुनने से मूड फ्रेश यानी ताजा रहता है। डिप्रेशन से निजात के लिए म्यूजिक थेरेपी भी दी जाती है।
अगर व्यक्ति मन की बात किसी से कह नहीं पाता तो उसे कहीं लिख लेना चाहिए। ऐसा करने से मन हल्का होता है। जिससे दिल की बात जाहिर करना चाहते हैं, उन्हें चिट्ठी भी लिख सकते हैं।
डिप्रेशन जैसा महसूस हो तो अपने दोस्तों के बीच ज्यादा समय बिताना चाहिए, जिनके साथ रहने से मूड अच्छा रहे। नकारात्मक लोगों से दूर रहना चाहिए।
पुरानी बातों या घटनाओं से उबरते हुए वर्तमान पर फोकस करना चाहिए। पुरानी बातें सोचने से व्यक्ति अवसाद की स्थिति में पहुंच सकता है।
अपने काम या नौकरी की समीक्षा करनी चाहिए कि व्यक्ति कितना संतुष्ट है। कहीं उसके डिप्रेशन की वजह असंतुष्टि तो नहीं। यदि ऐसा है तो दूसरे विकल्पों की ओर मुड़ना चाहिए।
डॉ. आलोक बताते हैं कि डिप्रेशन की स्थिति हावी होने पर पीड़ित व्यक्ति की काउंसिलिंग जरूरी है। उन्हें समय रहते मदद की जरूरत होती है। मन में उल्टे-सीधे ख्याल आते हों तो मनोचिकित्सक से खुल कर बातें करनी चाहिए। डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति के अभिवावक या किसी अपने को चाहिए कि डॉक्टर को पूरी बात बताएं और पीड़ित के व्यवहार में आए बदलावों के विषय में खुलकर बात करें। मनोचिकित्सक जरूरत के अनुसार, दवाओं और थेरेपी के जरिए पीड़ित का इलाज करते हैं। अगर सही समय पर मदद मिल जाए, तो इस मुश्किल से छुटकारा संभव है।