
कोरोना वायरस से हुयी मौतों का राज हैरान करने वाला है। मरने से पहले शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं। फेफड़े सफेद हो जाते हैं। फिर ऑक्सीजन का स्तर लगातार घटता जाता है और सांसे बंद हो जाती हैं। यह बात एसएन मेडिकल कॉलेज में मृतकों पर हुए अध्ययन से पता चला है। ऐसे में नई गाइड लाइन के अनुसार स्टेरॉइड्स और एनोक्सापारिन दवा का उपचार में प्रयोग शुरू किया है। शुरुआती पांच मामलों में यह जीवन रक्षक के रूप में साबित हुई हैं।
अनलॉक-1 में बीते 17 दिनों में 27 मरीजों की मौत हुई है । एसएन प्राचार्य प्रो. संजय काला के अनुसार, शोध में यह सामने आया है कि पहले से बीमार मरीजों की मृत्यु दर बढ़ने की वजह उनके शरीर में हो रही ऑक्सीजन की कमी तथा क्रिटिकल केस में शरीर में खून में थक्के जमने लगते हैं।वायरस के फेफड़ों को गिरफ्त में लेने से ये सफेद होकर चोक होने लगते हैं। शरीर में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है । मरीज की सांस टूटने लगती है। 14 मई को ट्रीटमेंट की नई गाइडलाइन से उपचार में मदद मिली है।
फेफड़े चोक होने की वजह साइटोकाइन बायोलॉजिकल केमिकल बताई जा रही है। आईसीयू विशेषज्ञ डॉ. बीके सिंह ने बताया कि साइटोकाइन का स्तर बढ़ने से वायरस पहले से अधिक तीव्र रूप में हो जाता है। स्टेरॉइड्स के इस्तेमाल से इसकी रफ्तार को नियंत्रित किया जाता है।
गंभीर मरीजों में खून को पतला करने के लिए एनोक्सापारिन दवा शुरू की है। वायरस का प्रभाव फेफड़ों पर कम करने के लिए स्टेरॉइड्स दवा भी दी जा रही हैं। पांच मरीजों पर प्रयोग में ये दवाएं जीवन रक्षक के रूप में साबित हुई है। उम्मीद है कि इससे मृत्यु दर में भी कमी आएगी।
नई दवाओं से हुआ उपचार शुरू
ट्रीटमेंट की नई गाइडलाइन भी आ गई है। गंभीर मरीजों में इन नई दवाओं के परिणाम सकारात्मक आए हैं। एसएन में इनसे उपचार शुरू कराया गया है। -प्रभु एन सिंह, जिलाधिकारी