
ताजनगरी में धर्मस्थल खोले जाएंगे या नहीं… इसका फैसला रविवार को होगा। प्रशासन इस पर विचार कर रहा है। केंद्र सरकार की इस संबंध में जारी गाइडलाइन का भी अध्ययन किया जा रहा है। सात ही जिले में कंटेनमेंट और उनके साथ बफर जोन बढ़ते जाने की स्थिति भी देखी जा रही है।
जिलाधिकारी (डीएम) प्रभु एन सिंह ने बताया कि धर्मस्थलों और सामूहिक आयोजनों के बारे में फिलहाल वही स्थिति है जो पहले से चली आ रही है। इसमें परिवर्तन किया जाएगा या नहीं, इस पर निर्णय सात जून को लिया जाएगा। केन्द्र व राज्य सरकार से आठ जून के बाद शर्तों के साथ मंदिर व मॉल खोलने की इजाजत दी है।
इस पर डीएम का कहना है कि सामूहिक रूप से धार्मिक गतिविधियों में सामाजिक दूरी का उल्लंघन होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में इस पर अभी कोई फैसला नहीं किया है। स्थानीय परिस्थतियों को भांप कर इस संबंध में धर्म गुरुओं के साथ चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही कोई निर्णय होगा।
नए सिरे बनेंगे बफर जोन
डीएम ने कहा नगर निगम क्षेत्र में बाजार खोलने की अनुमति लोगों की सुविधा के लिए दी गई है। धार्मिक स्थलों के संबंध में पहले एक बार नए सिरे से बफर जोन का निर्धारण होगा। इसके बाद ही धार्मिक गतिविधियों पर फैसला होगा।
धर्मगुरुओं का कहना है कि धर्मस्थलों को भी एहतियात के साथ खोला जाना चाहिए। लंबे अरसे से धर्मस्थल बंद हैं। ऐसे में श्रद्धालु भी अपने आराध्य के दर्शन करने को लालायित हैं। मस्जिदों में नमाज हो या गुरुद्वारों में शबद कीर्तन। सीमित संख्या में धर्मस्थलों में आवाजाही की अनुमति मिलनी चाहिए|आगरा महाधर्मप्रांत के आध्यात्मिक निर्देशक फादर मून लाजरस ने कहा कि गिरजाघरों में सिर्फ रविवार को सामूहिक प्रार्थना सभा होती है। सप्ताह के अन्य दिनों में कम ही लोग गिरजाघरों में पहुंचते हैं। रविवार को भी दो या तीन शिफ्टों में प्रार्थना सभाएं हो सकती हैं। यही नियम सभी धर्मस्थलों पर लागू हो सकता है। धर्मस्थलों में सैनिटाइजेशन भी निरंतर होना चाहिए।
धर्मस्थल खुलें, गाइड लाइन का पालन हो-
नायब काजी मौलाना मोहम्मद उजैर आलम ने कहा कि प्रशासनिक मशीनरी से दरख्वास्त है कि धर्मस्थलों को खोला जाए, लेकिन इस बात के लिए लोगों के स्वास्थ्य से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। कोरोना वायरस से संबंधित गाइड लाइन का पालन करते हुए सभी तरह की जाबतों से पाशदारी करते हुए धर्मस्थलों में इजाजत मिले।कैलाश मंदिर व सिद्धी विनायक मंदिर के मंहत ज्ञानेश शास्त्री ने कहा कि प्रशासन द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए केवल दर्शन के लिए मंदिरों को खोला जाए। इस दौरान मंदिरों में किसी तरह की भीड़ इकट्ठी नहीं होनी चाहिए। समय के साथ लोग इसे आदत में डाल लेंगे।